वो एहसास नही....वो जज़्बात नही
DATE : 2019-02-03 19:58:54
थी चाहत कुछ एसी, अाप बिन थे अधूरे हम!
पल -पल खिलखिलाते से, मुस्कुराते से
कुछ अन्छुए लम्हों की सादगी से,
इश्क के फुहार में थे डुब जाते हम!
थी चाहत कुछ एसी, आप बिन थे अधुरे हम!
लब्ज़ों को पिरोए चाहत के धागों में,गुंजती धड़कनो में मेरी
एहसास उन अपने पलों का, जि़कर् जिनमें तेरा सुबहो- शाम लिखा!
होकर भी अधूरे न अधूरे थे
थी चाहत कुछ एसी, आप बिन थे अधूरे हम!
आज वो पल हैं समा है वही दिन- रात है,
पर वो एहसास नही, वो जज़्बात नही !
वो साथ तो है पलों का लम्हों से,
पर उनमें तेरी बात नही , कोई फरीयाद नही!
थी चाहत कुछ एसी, आप बिन थे अधूरे हम!