AaGaz (कविता )
DATE : 2017-11-07 23:25:03
हूं मैं भी बलशाली, जो जानकर भी अनजान बना।
बल कर अपने पौरुष को, है क्यूँ ऐसे तू शूभ्द खडा।
छा जाऊँ मैं भी गगन में, है मुझमे इतना प्रकाश भरा।
जो मै दूं अपने पंख फैला, रह जाएगा यूंही शूक्ष्म धरा।
है जो तू बल, बलशाली हूँ मैं,
ना रह यूं नादान बना।।