लम्हा
DATE : 2017-11-20 02:24:24
है धरा भी मेघ लुप्त,
श्वास बिन धर पडा।
जो मिलन हो नैनो के पलछिन,
क्षुब्ध धरी काया हो चंचल मुमकिन।।
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Gunj- ek gujarish
Writer : Deepa Rani
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